पुसी लिक aunty ki chudai मेरी दोस्ती पड़ोसन मस्त माल आंटी सी हुई. एक बार उन्होंने मेरा खड़ा लंड देख लिया. तब से वे मेरे साथ सेक्स करने की कोशिश करने लगी.
मैं प्रिन्स हूँ. यह नाम बदला हुआ है.
मैं 25 साल का सवा छह फुट लंबा, सुंदर और खुले गोरे रंग का लड़का हूँ.
मेरे लंड का साइज़ 7 इंच है और यह काफी मोटा भी है.
जब मैं मुठ मारता हूँ तो मेरा लंड मेरे ही हाथ में पूरा नहीं आ पाता है.
इससे लड़कियों को समझ आ गया होगा कि उन्हें मेरा लंड कितना सुख दे सकता है.
तो दोस्तो, यह पुसी लिक Antarvasna Story कहानी मेरे ओर मेरे पड़ोस में रहने वाली आंटी के बीच हुई एक कामुक घटना पर आधारित है.
पड़ोसन आंटी बहुत ही मस्त माल हैं.
उनकी 35 साल की उम्र है और वे सवा पांच फुट की सामान्य सी हाइट वाली एक डीजल माल हैं.
डीजल माल उन्हें कहा जाता है, जो भरी हुई देह की हों, पर उनका कद उनकी फिगर के मुताबिक छोटा लगता हो.
आंटी का फिगर 34-30- 36 का था और चेहरा एकदम कातिलाना.
अंकल अक्सर बाहर ही रहते हैं उनका टूरिंग वाला काम है.
बच्चे हुए नहीं हैं.
एक बार जब मैं दिन के समय उनके घर गया तो उनके घर में कोई नहीं था.
मैं अन्दर गया तो देखा आंटी बाथरूम में नंगी नहा रही थीं और दरवाजा खुला होने की वजह से मैंने उन्हें देख लिया था.
बस उस दिन से उनके लिए मेरी नियत बिगड़ गयी थी.
उनको बिना बताए मैं वहां से निकल गया और बाहर आकर मैंने आवाज़ लगाई.
वे आवाज देकर बोलीं- एक मिनट रुको … मैं आ रही हूँ.
आंटी बाहर आईं तो उनके गीले बाल, गीला बदन, उस पर सफेद तौलिया देख कर मेरा आधा खड़ा लंड भी पूरा कड़क हो गया था और मेरे शॉर्ट्स में फूला हुआ सा दिखने लगा था.
मैंने कोशिश की कि उन्हें बिना पता चले सही कर लेता हूँ, लेकिन मैं उनसे कड़क होता लंड का उभार छुपा ही ना सका.
उन्होंने मुझसे पूछा- क्या बात है?
मैंने बड़ी मुश्किल में उन्हें कहा- मैं अभी आता हूँ, फिर बताता हूँ.
यह कह कर मैं मुड़ा और वापस आने लगा.
मैंने आंटी को देखा नहीं था मगर मुझे समझ आ रहा था कि वे मुस्कुरा रही होंगी.
अपने घर आकर बड़ी मुश्किल से खुद पर काबू किया और बिना लंड को हिलाए लेट गया.
कुछ देर बाद जैसे तैसे लंड अपने आप बैठ गया.
अब मैं आंटी के घर कुछ ज्यादा ही जाने लगा.
वे अपने घर में ज़्यादतर समय अकेली ही रहती थीं.
मैंने धीरे धीरे उनसे नज़दीकियां कुछ ज्यादा ही बढ़ा लीं और उनकी तरफ से भी अच्छा रुझान मिलने लगा था.
धीर धीरे हम दोनों एक दूसरे से कुछ ज़्यादा ही अंतरंग और खुल्ला हो गए.
करीब था में एहसास ए गच – गच के, गर्ल्स फ्रेंड के पेरेंट्स आ गए फिर भागा में बच बच के – Antarvasna Kahani

वे धीरे धीरे मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड को लेकर बातें करने लगीं.
लेकिन अभी तक कुछ ऐसी बात शुरू नहीं हुई थी जिससे उनके साथ चुदाई का मामला जम सके.
फिर एक दिन मैं अपने कमरे में सो रहा था तो आंटी घर आईं.
मैं अपने बेडरूम में सो रहा था और शॉर्ट्स उतार कर लेटा था.
मतलब मैं सिर्फ चड्डी पहनी हुई थी.
आप सब तो जानते ही होंगे कि लड़कों की अंडरवियर आगे से ओपन होते हैं, जिससे सोते सोते में कभी कभी लंड बाहर आ जाता है.
उस दिन भी यही हुआ.
desi aunty ki chudai मेरे कमरे में दाखिल हुईं और जैसे ही उन्होंने चादर हटाई, मेरा चड्डी से बाहर निकला और तना हुआ लंड उनकी नजरों के सामने था.
उसी दिन मैंने अपनी झांटों के बाल भी साफ किए थे तो लंड काफी बड़ा और मस्त लग रहा था.
उन्होंने चादर को लौड़े के ऊपर डाल कर मुझे उठाया और बोलीं- उठो और सही से बैठो!
मुझे पहले तो समझ नहीं आया कि moti aunty ki chudai ऐसा क्यों बोल रही हैं.
मैं नींद में था, तो उठ कर बैठ गया और जब थोड़ा सही हुआ, तब मैं एकदम से शर्मा गया.
मुझे मेरे खड़े लंड का अहसास हो गया था.
मैंने तुरंत उनकी नज़र से बचते हुए लंड को सही किया और उठ गया.
आंटी कुछ नहीं बोलीं बस हल्की सी मुस्कान देती हुई वापस चली गईं.
उस दिन मैं शर्म के मारे आंटी के यहां नहीं गया.
अगले दिन मैं जब उनके घर गया तो वहां जाकर बैठ गया.
आंटी बोलीं- कल क्यों नहीं आए थे, मुझे तुमसे कुछ काम था!
मैंने कहा- बस कल अजीब सा लग रहा था.
उस दिन आंटी ने कहा- एक बात पूछनी है, पूछ लूँ?
मैंने कहा- हां बोलो न!
आंटी- तुमने सेक्स किया है?
मैं- क्या आंटी, ये सब क्या पूछ रही हो?
आंटी- बताओ ना?
मैं- नहीं किया.
वे बोलीं- तुम झूठ बोल रहे हो.
मैंने बोला- मैं क्यों झूठ बोलूँगा?
वे होंठ काटती हुई बोलीं- कल मैंने तुम्हारा सामान देख लिया था. उसकी स्किन एकदम पीछे थी.
मुझे कुछ समझ नहीं आया, पर मेरा चेहरा शर्म से एकदम लाल पड़ गया.
यह देख कर indian aunty ki chudai ने हंस कर कहा- रिलॅक्स यार, कोई बात नहीं.
मैंने कहा- आंटी नहीं, मैंने वह सब कभी नहीं किया है.
वे बोलीं- सेक्स न!
मैंने कहा- हां.
वे बोलीं- फिर तुम्हारी स्किन टोपे से क्या अपने आप पीछे हो गई थी?
मैंने कहा- आंटी मैं रोजाना रात को सरसों के तेल से मालिश करता हूँ, उस टाइम अपने राजू की स्किन को थोड़ा आगे पीछे कर देता हूँ, इसलिए आपको ऐसी दिखी होगी!

यह सुन कर आंटी बोलीं- हम्म … ये सही है … अभी से ही उसका ध्यान रख रहे हो. आगे जाकर वह भी तुम्हारा ध्यान रखेगा.
थोड़ी देर चुप रहने के बाद आंटी ने फिर से कहा- साइज़ बहुत मस्त है तुम्हारा?
मैं एकदम बिंदास होते हुए बोला- शुक्रिया आंटी!
आंटी- छह इंच तो होगा?
मैं इन सब बातों से पहले की गर्म हो गया था, तो मेरा पूरा लंड खड़ा था.
मैं उठा और उनके सामने जाकर अपना शॉर्ट्स अंडरवियर के साथ पूरा नीचे कर दिया.
सामने लंड देख कर वे चौंक गईं और बोलीं- अरे बापरे इतना लंबा?
वे लौड़े को हाथ से टच करने लगीं.
उनके हाथ से मुझे भी मजा आने लगा.
मैंने उनके बाल पकड़े और उनके मुँह के पास लंड को ले गया.
वे मुँह फेरती हुई बोलीं- छी: इतना गंदा है … यह क्या कर रहे हो!
मैं समझ गया कि आंटी ने आज से पहले कभी ओरल सेक्स नहीं किया.
मगर अब तक वे भी पूरी गर्म हो चुकी थीं तो मैंने उनके बाल पकड़े और बालों से पकड़ कर उन्हें उठाया.
अब मैं खींचता हुआ उन्हें बेडरूम में ले गया.
उस दिन आंटी ने लाल रंग की साड़ी पहन रखी थी.
लेकिन मेरा ध्यान नहीं गया क्योंकि वे तो रोजाना ही कोई न कोई रंग की साड़ी पहनती थीं.
तो ज्यादा ध्यान ने देते हुए मैं उन्हें बेड पर धक्का दे दिया.
जब वे बिस्तर पर गिरीं और उनकी साड़ी उनकी गोरी पिंडलियों से ऊपर को हुई, उस वक्त मुझे महसूस हुआ कि लाल रंग की साड़ी में आंटी जी क्या माल लग रही थीं.
मैंने उन्हें बिठाया और उनके पास जाकर घुटनों के बल बैठ कर किस करने लगा.
ये सब मेरा फर्स्ट टाइम था लेकिन मैंने पॉर्न इतनी ज्यादा देखी थी कि लग ही नहीं रहा था कि फर्स्ट टाइम है.
बस मेरे हाथ कांप रहे थे.
मुझे शुरू से ही वाइल्ड सेक्स पसंद है, मैं सेक्स मूवी भी वही वाली देखता था.
मैंने भी अपने रंग दिखाने शुरू किए.
आंटी को किस करते करते मैं उनके दोनों चूचों को दबा रहा था.
फिर मैं उनके होंठों को अपने होंठों से दबा कर खींचने लगा, काटने लगा, उनका चेहरा चाटने लगा, दांतों से उनके गाल काटने लगा.
वे मस्त हो कर बस आह आह कर रही थीं.
मैं आंटी की गर्दन पर किस करता और थोड़ा सा कंधे पर थूक कर पूरा थूक उनके कंधे के नीचे तक फैला देता. फिर मुँह से गर्म हवा मारता, तो उन्हें ठंडक लगती.
उनके साथ भी इस टाइप से पहली बार था, तो उन्हें भी सिहरन हो रही थी.
वे कामुक सिसकारियां लेने लगी थीं.
मैंने उनकी साड़ी का आँचल हटाया और साड़ी को उनके पेटीकोट से उतारने के लिए अपने हुनर का इस्तेमाल करने लगा.
मैंने उन्हें खड़ी कर दिया और खुद नीचे बैठ कर अपने दांतों से साड़ी निकालने लगा था.
अब गुल खिले या गुलशन, या खिले गुलज़ार, भाभी को ही चोदेंगे, चाहे 500 लगे या हज़ार। – Antarwasna Story

यह करते हुए वे मेरे सिर को अपने पेट पर दबा रही थीं और इतनी तेज़ तेज आवाज में सिसकारियां ले रही थीं, मानो पहली बार चुदाई करवा रही हों.
आंटी- उम्म्म्म … आअहह … ये क्या कर रहे हो तुम … आह इतना मजा … और वह भी किस से … आह कभी नहीं सोचा था आह उम्म्म्म … आअहह करते रहो मेरी जान!
मैं उनकी साड़ी उतारता रहा.
जब पूरी साड़ी उतर गयी तो अंत में मैंने एक बार उनके पेट पर जीभ से चाटा और नाभि के पास अपने दांत गड़ा कर पेट को हल्के से काट लिया.
वे ‘इसस्शह’ करके सिहर गईं.
फिर मैं धीरे धीरे किस करते हुए ऊपर को बढ़ा; उनके ब्लाउज के ऊपर से ही दोनों चूचों को एक एक बार मुँह में भरा और चबा दिया.
वे तड़प उठीं- आअहह … धीरे … खा जाएगा क्या?
अब वे भी मेरी शर्ट उतारने लगी थीं.
मैंने मना कर दिया.
मैं बोला- आज सिर्फ आप मज़े लो … नेक्स्ट टाइम आप देना!
वे खुश हो गईं और मुझे किस करके मेरे होंठों को काट लिया.
मैंने उन्हें दीवार की तरफ को किया और उन्हें चूचों की तरफ से चिपका दिया.
अब पीछे से मैं उनकी गांड से अपने लंड को बस इतना ही टच करवाता कि उन्हें लौड़े की गर्मी भर महसूस हो.
लंड की सख्ती को महसूस करके आंटी खुद ही गांड पीछे कर देतीं.
जैसे ही वे गांड पीछे करतीं, उनकी गांड पर मैं अपना भारी हाथ तेजी से मार देता और आंटी आउच … बोल कर सीधी हो जातीं.
पता नहीं वे क्या क्या बोल रही थीं, कुछ समझ नहीं आ रहा था.
अब मैंने सब कुछ करना बंद कर दिया और एक कदम पीछे हो गया.
जैसे ही उन्होंने पलट कर देखा, मैं टूट पड़ा, उनको किस करने लगा … चूचे दबाने लगा … गांड दबाने लगा.
वे बस अन्दर ही अन्दर ‘ग्घहु ऊन्न्ञन् … ग्ग्घु उऊन्न्ञन् …’ कर रही थीं.
मैं उनके एक कंधे पर चाटने लगा, पीछे पीठ पर किस और कट्टू करने लगा.
फिर मैंने आगे हाथ बढ़ा कर उनका ब्लाउज खोल दिया.
वे एकदम पागल सी हो गईं.
उनसे खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था.
वे बोलीं- आअहह … उफ्फ़ … तुमने यह सब कहां से सीखा है, मेरी तो जान ही निकाल दी है!
मैं- सेक्स वीडियोस से.
ये कह कर मैंने नीचे जाते हुए जल्दी जल्दी उनकी गांड पर 5-6 बार काट लिया.
वे आआहह … ऊऊहह … मां …’ करती रहीं.
फिर बिना टाइम वेस्ट किए मैंने अपनी दो उंगलियां उनके मुँह में डालीं और बेड पर खींच लाया.
वे ‘उम्म्म्म … उहह …’ करती रह गईं.
आंटी- यार, इतना जोश दिला दिया है अब मत तड़पा … जल्दी से डाल दो अन्दर!
वे जैसे ही यह बोलीं, मैंने अपना एक हाथ तेजी से पेटीकोट के अन्दर ले जाकर उनकी चूत के ऊपर रख दिया.
आंटी तेज़ आवाज में सिहर उठीं और ‘ऊऊहह … आआहह … उम्म्म्म …’ करती हुई झड़ गईं.
वे कांपती हुई बोलीं- आआहह … यार मैं तो पागल ही हो गई … उम्म्म्म!
फिर दो मिनट रुकने के बाद मैंने उनके सारे कपड़े उतार दिए और उनकी टांगें खोल कर बीच में बैठ गया.
वे मुझे ही देख रही थीं.
मैं उनकी साफ चूत को देख रहा था.
उन्होंने झट से अपने पैर बंद कर लिए.
मैंने कुछ नहीं कहा.
बस अपने सारे कपड़े उतारे और अंडरवियर में रह गया.
फिर मैंने उनकी ब्रा उठाई और उनके हाथ ब्रा से बांध दिए.
आंटी बोलीं- यार, मुझे पता नहीं था तुम इतने जंगली हो!
मैं- जंगली तो अब बनूँगा … बस आप सम्भाल लेना.
यह बात मैंने उनके कान में जाकर कान को काटते हुए बोली.
तो वे फिर से तेज़ तेज़ सांसें लेने लगीं.
मैं- पहले कभी ओरल सेक्स किया है?
वे बोलीं- नहीं.
मैंने उनकी पैंटी उठाई और अपने मुँह में रख कर उनके मुँह में डाल दी.
वे सकपका उठीं.
मगर मैं नहीं रुका और पूरी पैंटी उनके मुँह के अन्दर डालने के बाद किस करने लगा.
इससे वे हांफने लगी थीं.
फिर मैं पैंटी को उनके मुँह में ही छोड़ कर नीचे आ गया.
इधर उनकी टांगें हवा में कर दीं और चुत पर एक बार मुँह से हवा मार दी.
वे एकदम से हिल गईं और ‘उम्म्म्म … उम्म्म्म …’ करने लगीं.
मैंने अपनी उंगली में थूक लगाया और उनकी गांड में इतनी प्यार से उंगली घुसाई कि उन्हें दर्द का अहसास ही नहीं हुआ.
वे अपने मुँह से कुछ बोलना चाह रही थीं मगर पैंटी घुसी होने से वे सिर्फ़ उम्म्म्म … आह …’ की आवाज़ ही निकाल पा रही थीं.
फिर मैं दोबारा एकदम से उठ गया और जैसे ही उन्होंने मुझे देखा, मैं उनके गाल पर कट्टू किए बिना नहीं रह सका.
वे जोर से उम्म्म्म … अहह… करने लगीं तो मैंने उनके एक चूचे पर काट लिया और उसके निप्पल को प्यार से सक किया.
फिर निप्पल को दांत में दबा कर हौले से खींच दिया.

आंटी- उम्म्म्म …
उनकी सांसें ऊपर नीचे हो रही थीं.
मैं नीचे जाने लगा और चूत के पास जाते ही मैंने दो उंगली अपने मुँह में डाल कर उनकी चूत में घुसा दीं.
अब तो आंटी और जोर जोर से आअहह … कर रही थीं, सिर पटक रही थीं.
मैंने भी बिना देर किए उनकी चूत चाटना शुरू कर दी.
आंटी एकदम पागल हो रही थीं, उनकी चूत से इतना पानी निकल रहा था … जैसे चूत में नल लगा हो.
वे चिल्लाने की कोशिश कर रही थीं मगर उनके मुँह से उम्म्म्म … ओह … उफ्फ़… के अलावा और कुछ नहीं निकल रहा था.
चूत का पानी चाटते चाटते मैंने उनके हाथ खोले और मुँह से पैंटी निकाली.
अपने मुँह से पैंटी निकलते ही उन्होंने जो आवाज़ निकाली- आह, मजा आ गया.
आंटी- आहह … इतना मजा मुझे कभी नहीं मिला … तू जादूगर है उफ्फ़ …
वे अपनी चुत पर मेरा मुँह अन्दर को दबाने लगीं … और मादक सिसकारी लेने लगीं.
आंटी पुसी लिक Xxx का मजा ले रही थी- न ऐसे ही … ओह … मां आआह … रुकना मत … यस … और तेज़ आआहह … अहह!
यही सब कहती हुई आंटी मेरे मुँह में झड़ गईं और शांत हो गईं.
फिर जब मैंने उन्हें चुदाई की बात बोली.
तो आंटी कहने लगीं- अब नहीं … मैं 3 बार झड़ चुकी हूँ. ऐसा पहली बार हुआ है … आह मैं बहुत थक गई हूँ.
मैं- मगर मेरा लंड तो खड़ा है … इसे मुँह में ले लो ना!
आंटी- नहीं, मैं मुँह में नहीं लूँगी छी: … कितना गंदा होगा!
जैसे तैसे करने के बाद उन्होंने एक मिनट के लिए लंड को मुँह में लिया और फिर हाथ से ही मुठ मार कर झड़वा दिया.
मैं वॉशरूम गया और आया तो देखा वे सो गई थीं.
मैंने भी उन्हें डिस्टर्ब नहीं किया.
